चुनौति
1 min readJanuary 02, 2024
chunauti
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पेट्रोल कि गाडि नये लिये तुम, तेल कौनसा डालोगे
पानि से तो नहि चलेगा ये, मिट्टि कि तेल तो नहि डालोगे?
कुछ लाखों कि इस यंत्र पे जो तुम, प्रेम इतना बरसाते हो
कमालो के अपने देह को तुम, घटिया कुछ भि खिलाते हो?
धूप तपाति है तुमको, कांपते हो थोडि थंडि से
किस काल मे क्या खाना है, सोचा है कभि अपनि मुंडि से?
रुग्ण, बूढो कि दशा जो देख के दया जो तुममें जाग गया..
आगे थोडा जाकर तुमने, अपनि जरा की भी सोच लिया?
पुरि पुरानी समझ के जो तुम सत विज्ञान को इंकार रहे
कभि भक्ति से क्या तुमने इनको भि अपना कर देख लिये?
नया ज्ञान के चयन हेतु बच्चे तुम्हारे हैं, पाठशाला मे
घर वाला तो दाल बराबर, बहादि ये ज्ञान नाले मे?
सोच रहे होगे अब तक तुम्, अरे, ये कितना ज्ञान झाडोगे?
अंत मे नारयण कहना है, क्या चुनौति ये तुम ले पाओगे?